फेक बैंक या ब्रांड वेबसाइट/ऐप — चतुर ठग, एक क्लिक में आपकी सख्त कमाई कैसे चुरा लेते हैं (और आप इसे तुरंत कैसे रोकें)
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| FAKE WEBSITE ALERT! |
हम सब अपने बैंक-अपडेट और पैमेंट के मामलों में सावधानी रखते हैं — पर एक ऐसा लिंक आया और सब कुछ लुट गया। इस पोस्ट में मैं आपको बिल्कुल सरल भाषा में बताऊँगा कि फेक वेबसाइट/ऐप और SMS-phishing क्या है, उसे कैसे पहचानें और अगर आपकी गलती से खाई हुई रकम चली गयी — क्या फौरन करना चाहिए।
फेक वेबसाइट / फेक ऐप (Phishing) क्या है
धोखेबाज़ कितने चालाकी से फँसाते हैं
वे असली जैसी वेबसाइट बनाते हैं (design copy)।
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URL में मामूली स्पेलिंग या अलग domain-extension रखते हैं (जैसे .xyz, .online)।
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फर्जी urgency दें — “अभी नहीं तो अकाउंट ब्लॉक” जैसी भाषा।
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कुछ मामलों में फेक ऐप स्टोर पेज/फेक रिव्यू तक बनाते हैं।
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फोन/WhatsApp पर भी follow-up करते हैं ताकि आप डर कर जल्दी कर दें।
URL गौर से पढ़ें — bankname-secure.xyz, bankname.login123.in जैसी चीज़ें झूठ हो सकती हैं.
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HTTPS का मतलब सुरक्षित नहीं — फ़र्ज़ी साइट भी SSL लगा सकती है।
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बहुत कम downloads/अजीब-सी रिव्यू — ऐप स्टोर पर देखें, अगर डाउनलोड न के बराबर हों तो शक करें।
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urgency — “तुरंत भुगतान करो वरना मामला कोर्ट में” — बैंक ऐसा सीधे नहीं बोलेगा।
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अजनबी लिंक का छोटा-सा URL-shortener — tinyurl/bit.ly वाले लिंक से सतर्क हों।
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लॉगिन पेज पर कैप्चा/स्पेलिंग चेक — अक्सर टाइपो या कट-पेस्ट लोगो दिखेंगे।
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लिंक भेजने वाला नंबर/ईमेल — बैंक के आधिकारिक मेल/नंबर से मेल न होने पर सतर्क रहें।
स्क्रीनशॉट और नोट्स लें — लिंक, सेंडर नंबर, ट्रांज़ैक्शन ID।
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बैंक को तुरंत कॉल करें — कार्ड/UPI/NetBanking ब्लॉक/फ्रीज़ कराइए।
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UPI/Payment app में dispute raise करें — जितनी जल्दी शिकायत उतना बेहतर।
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National Cyber Crime Portal पर complaint दर्ज करें (cybercrime.gov.in) — डिजिटल रिकॉर्ड बनाना जरूरी।
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अपने फोन की SIM और बैंक-सभी ऐप्स चेक कराएं — unauthorized apps हटवाइए।
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पासवर्ड बदलें और पासवर्ड मैनेजर इस्तेमाल करें।
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अगर बड़े लेन-देन हुए हैं, बैंक-ombudsman या NPCI को escalate करें।
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परिवार/दोस्तों को inform कर दें ताकि वे भी सतर्क रहें।
बचाव (Prevention) — 10 आसान
Official app या वेबसाइट bookmark कर लें — लिंक कभी SMS से खोलने की आदत छोड़ें।
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Password manager का उपयोग करें (हर साइट अलग पासवर्ड)।
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Two-factor authentication (2FA) देखें — लेकिन OTP किसी को न दें।
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Public Wi-Fi पर बैंकिंग न करें; VPN उपयोग करें।
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फ़ोन में anti-malware और अपडेटेड OS रखें।
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अनजान SMS/ईमेल के लिंक पर क्लिक न करें — पहले typing से वेबसाइट खोलें।
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बैंक से मिलने वाले आधिकारिक नंबर और email अपने पास रखें।
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ऐप डाउनलोड हमेशा Google Play / Apple App Store पर verify करें — डेवलपर देखें।
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नियमित बैलेंस और स्टेटमेंट चेक करें — छोटी ट्रांज़ैक्शन भी पकड़े जा सकती हैं।
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अपने ग्राहक/कस्टमर को भी educate करें — awareness ही सबसे बड़ा बचाव है।
FAQ — (Schema ready Q&A)
Q1: क्या HTTPS वाला भी फेक वेबसाइट हो सकता है?
ANS: हाँ — HTTPS सिर्फ़ डेटा-ट्रांसफ़र encryption बताता है, पर धोखेबाज़ भी SSL लगा लेते हैं।
Q2: बैंक कभी भी OTP माँगकर रकम नहीं लेता क्या?
ANS: बैंक कभी भी अपने अधिकारी के तौर पर आपसे OTP या PIN नहीं मांगेगा। OTP केवल वही डालें जो आप स्वयं initiate करते हैं।
Q3: क्या मैं अपने पैसे वापस पा सकता हूँ?
ANS: कुछ केस में बैंक/dispute, NPCI और cybercrime complaint के जरिए पैसा recover हो सकता है पर समय-समय पर अलग परिणाम होते हैं — तुरंत कार्रवाई करने से chances बढ़ते हैं।
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