फेक बैंक/ब्रांड वेबसाइट से सावधान: कैसे पहचानें, तुरंत क्या करें (पूर्ण गाइड)

फेक बैंक या ब्रांड वेबसाइट/ऐप — चतुर ठग, एक क्लिक में आपकी सख्त कमाई कैसे चुरा लेते हैं (और आप इसे तुरंत कैसे रोकें)

FAKE WEBSITE ALERT!

हम सब अपने बैंक-अपडेट और पैमेंट के मामलों में सावधानी रखते हैं — पर एक ऐसा लिंक आया और सब कुछ लुट गया। इस पोस्ट में मैं आपको बिल्कुल सरल भाषा में बताऊँगा कि फेक वेबसाइट/ऐप और SMS-phishing क्या है, उसे कैसे पहचानें और अगर आपकी गलती से खाई हुई रकम चली गयी — क्या फौरन करना चाहिए।

फेक वेबसाइट / फेक ऐप (Phishing) क्या है

फेक वेबसाइट या फेक ऐप वो नकली पेज/ऐप होते हैं जो बिल्कुल असली बैंक/ब्रांड जैसे दिखते हैं — उसी लोगो,
 रंग और शब्दों का इस्तेमाल। पर असल मकसद सिर्फ़ यही है कि आप वहाँ अपने यूज़रनेम, पासवर्ड, OTP या UPI PIN डालें — और फिर आपका पैसा गायब हो जाए। SMS-phishing (smishing) में वही संदेश मोबाइल पर भेजकर लिंक क्लिक करवाते हैं।

धोखेबाज़ कितने चालाकी से फँसाते हैं

  • वे असली जैसी वेबसाइट बनाते हैं (design copy)।

  • URL में मामूली स्पेलिंग या अलग domain-extension रखते हैं (जैसे .xyz, .online)।

  • फर्जी urgency दें — “अभी नहीं तो अकाउंट ब्लॉक” जैसी भाषा।

  • कुछ मामलों में फेक ऐप स्टोर पेज/फेक रिव्यू तक बनाते हैं।

  • फोन/WhatsApp पर भी follow-up करते हैं ताकि आप डर कर जल्दी कर दें।





7 असानी से समझने वाले संकेत: ये फेक है तो कैसे पहचानें

  1. URL गौर से पढ़ें bankname-secure.xyz, bankname.login123.in जैसी चीज़ें झूठ हो सकती हैं.

  2. HTTPS का मतलब सुरक्षित नहींफ़र्ज़ी साइट भी SSL लगा सकती है।

  3. बहुत कम downloads/अजीब-सी रिव्यूऐप स्टोर पर देखें, अगर डाउनलोड न के बराबर हों तो शक करें।

  4. urgency“तुरंत भुगतान करो वरना मामला कोर्ट में” — बैंक ऐसा सीधे नहीं बोलेगा।

  5. अजनबी लिंक का छोटा-सा URL-shortenertinyurl/bit.ly वाले लिंक से सतर्क हों।

  6. लॉगिन पेज पर कैप्चा/स्पेलिंग चेकअक्सर टाइपो या कट-पेस्ट लोगो दिखेंगे।

  7. लिंक भेजने वाला नंबर/ईमेलबैंक के आधिकारिक मेल/नंबर से मेल न होने पर सतर्क रहें।


अगर आपने गलती कर दी: तुरंत करने वाले 8 कदम

  1. स्क्रीनशॉट और नोट्स लें — लिंक, सेंडर नंबर, ट्रांज़ैक्शन ID।

  2. बैंक को तुरंत कॉल करें — कार्ड/UPI/NetBanking ब्लॉक/फ्रीज़ कराइए।

  3. UPI/Payment app में dispute raise करें — जितनी जल्दी शिकायत उतना बेहतर।

  4. National Cyber Crime Portal पर complaint दर्ज करें (cybercrime.gov.in) — डिजिटल रिकॉर्ड बनाना जरूरी।

  5. अपने फोन की SIM और बैंक-सभी ऐप्स चेक कराएं — unauthorized apps हटवाइए।

  6. पासवर्ड बदलें और पासवर्ड मैनेजर इस्तेमाल करें।

  7. अगर बड़े लेन-देन हुए हैं, बैंक-ombudsman या NPCI को escalate करें।

  8. परिवार/दोस्तों को inform कर दें ताकि वे भी सतर्क रहें।


बचाव (Prevention) — 10 आसान


  • Official app या वेबसाइट bookmark कर लें — लिंक कभी SMS से खोलने की आदत छोड़ें।

  • Password manager का उपयोग करें (हर साइट अलग पासवर्ड)।

  • Two-factor authentication (2FA) देखें — लेकिन OTP किसी को न दें।

  • Public Wi-Fi पर बैंकिंग न करें; VPN उपयोग करें।

  • फ़ोन में anti-malware और अपडेटेड OS रखें।

  • अनजान SMS/ईमेल के लिंक पर क्लिक न करें — पहले typing से वेबसाइट खोलें।

  • बैंक से मिलने वाले आधिकारिक नंबर और email अपने पास रखें।

  • ऐप डाउनलोड हमेशा Google Play / Apple App Store पर verify करें — डेवलपर देखें।

  • नियमित बैलेंस और स्टेटमेंट चेक करें — छोटी ट्रांज़ैक्शन भी पकड़े जा सकती हैं।

  • अपने ग्राहक/कस्टमर को भी educate करें — awareness ही सबसे बड़ा बचाव है।


FAQ  — (Schema ready Q&A)


Q1: क्या HTTPS वाला भी फेक वेबसाइट हो सकता है?
ANS: हाँ — HTTPS सिर्फ़ डेटा-ट्रांसफ़र encryption बताता है, पर धोखेबाज़ भी SSL लगा लेते हैं।


Q2: बैंक कभी भी OTP माँगकर रकम नहीं लेता क्या?


ANS: बैंक कभी भी अपने अधिकारी के तौर पर आपसे OTP या PIN नहीं मांगेगा। OTP केवल वही डालें जो आप स्वयं initiate करते हैं।

Q3: क्या मैं अपने पैसे वापस पा सकता हूँ?


ANS: कुछ केस में बैंक/dispute, NPCI और cybercrime complaint के जरिए पैसा recover हो सकता है पर समय-समय पर अलग परिणाम होते हैं — तुरंत कार्रवाई करने से chances बढ़ते हैं।

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